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सम्भोग से समाधि की ओर

From SEX to SUPERCONSCIOUSNESS


Author : ओशो
Language : हिन्दी
ISBN : 978-93-80494-41-8
MRP : ₹ 00.00
: NA

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एक क्षण के लिए तुम एक हो जाते हो, दो का भेद समाप्त हो जाता है, तुम्हारे लिए समय तथा मन की चाल रुक जाती है, तुम्हारा मस्तिष्क विचार शून्य हो जाता है। ऐसा न होने की दशा में समागम के शीर्ष को छू पाना सम्भव नहीं। उस दौरान तुम्हारे सभी विचार ऐसे तिरोहित हो जाते हैं जैसे वे तुम्हारे लिए पूरी तरह व्यर्थ हों ! तुम उपस्थित होते हो, लेकिन बिना किसी विचार के। तुम वहाँ होते हुए भी नहीं होते। ऐसा केवल क्षण भर के लिए ही घटित होता है, जिसे आसानी से चूका जा सकता है। यह अन्तराल इतना क्षणिक है कि अनेक जन्मों से तुम चूके जा रहे हो।

हमने सेक्स को सिवाय अपशब्दों के आज तक दूसरा कोई सम्मान नहीं दिया। हम तो इस पर बात करने में भी भयभीत होते हैं। हमने इसे इस भांति छिपा कर रख दिया है जैसे यह है ही नहीं, जैसे जीवन में इसका कोई स्थान है ही नहीं। जबकि सच्चाई तो यह है कि इससे अधिक महत्वपूर्ण मनुष्य के जीवन में और कुछ भी नहीं है, परन्तु इसे छुपाया गया है, इसको दबाया गया है। परिणामस्वरूप मनुष्य काम से मुक्त नहीं हो पाया, बल्कि मनुष्य इससे और भी बुरी तरह से ग्रसित हो गया है। काम, जो कि समस्त संसार में उत्पत्ति का एकमात्र माध्यम है, के विषय में जो भी भ्रान्तियाँ फैलाई गई हैं, इसके प्रति हमारी अज्ञानता की सूचना देती है। हमारे द्वारा प्रेम के मार्ग में खड़ी की गई बाधाएँ अगर हटा दी जाएं तो प्रेम की धारा को परमात्मा तक पहुँचने से कौन रोक सकता है! परन्तु हम इसके बारे में जानना-समझना ही नहीं चाहते। हममें इस विषय पर बात तक करने का साहस नहीं है। यह किस प्रकार का भय है जो हमें सच्चाई तक पहुँचने से रोक रहा है ?

ज़रूरत है स्वीकार की, न कि विरोध अथवा दमन की। स्वीकार की गहराई जितनी अधिक होगी मानवता उतने ही अधिक ऊँचे शिखर पर होगी। अज्ञानता के साथ दमन करने की प्रवृत्ति भी बढ़ती है तथा दमन के परिणाम कभी भी फलदायी एवं गुणकारी नहीं होते। काम मानवी जीवन की सबसे बड़ी ऊर्जा है। इसे रोकने से कुछ भी हासिल न होगा, बल्कि हमें इसका रूपान्तरण परम चेतना के रूप में करना होगा।


रजनीश चन्द्र मोहन जैन, जिन्हें साठ के दशक में आचार्य रजनीश, सत्तर तथा अस्सी के दशक के दौरान भगवान श्री रजनीश और वर्ष 1989 के बाद से ओशो के नाम से भी जाना गया, एक भारतीय रहस्यवादी, गुरु, दार्शनिक, लेखक एवं आध्यात्मिक शिक्षक थे। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ओशो बीसवीं सदी के सर्वाधिक प्रभावशाली तथा प्रेरक आध्यात्मिक गुरुओं में से एक हैं। ओशो को लंदन के द संडे टाइम्स ने बीसवीं सदी के 1000 निर्माताओं में से एक कहा है। सुप्रसिद्ध अमेरिकी लेखक टॉम राबिन्स ने लिखा है कि ओशो जीसस क्राइस्ट के बाद सर्वाधिक खतरनाक व्यक्ति हैं। भारत के संडे मिड-डे ने ओशो को गांधी, नेहरू और बुद्ध के साथ उन दस लोगों में चुना है जिन्होंने भारत का भाग्य बदल दिया। अपने कार्य के बारे में ओशो ने कहा है कि वे एक नये मनुष्य के जन्म के लिए परिस्थितियां तैयार कर रहे हैं। इस नये मनुष्य को वे ‘ज़ोरबा दि बुद्धा’ कहते हैं जो ‘जोरबा दि ग्रीक’ की तरह पृथ्वी के समस्त सुखों को भोगने की क्षमता रखता हो और गौतम बुद्ध की तरह मौन स्थिरता में जीता हो। ओशो के हर आयाम में एक धारा की तरह बहता हुआ वह जीवन-दर्शन है जो पूरब की समयातीत प्रज्ञा और पश्चिम के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सर्वोच्च संभावनाओं को एक साथ समाहित करता है। ओशो आत्मिक रूपांतरण के विज्ञान में अपने क्रांतिकारी योगदान के लिए जाने जाते हैं और ध्यान की उन विधियों के रचनाकार हैं जो आज के गतिशील जीवन के मद्देनज़र तैयार की गई हैं। हृदय परिवर्तित कर देने वाला उनका क्रान्तिकारी दर्शन आज भी दुनियाभर के लोगों के दिलों पर राज कर रहा है।


Genre: Spiritual Self Help, Mental Growth
ISBN-13: 9789380494418
ISBN-10: 9380494416
Language: Hindi
Speaker: OSHO Rajneesh
Binding: HB220P